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दिव्यांगजन पेट्रोलचलित टू व्हीलर प्रदाय योजना
दिव्यांगजनों के जीवन स्तर में वृद्धि तथा आर्थिक समृद्धि में प्रगति लाने के प्रयास के क्रम में दिव्यांगजन पेट्रोलचलित टू व्हीलर प्रदाय योजना क्रियान्वित की जा रही है । समावेशी समाज के सृजन को दिशा देने हेतु यह अत्यंत प्रभावी योजना है । दिव्यांगजनों को प्रगति के समान अवसर उपलब्ध कराने और सशक्तिकरण हेतु यह बहुत लाभकारी प्रयास है ।
दिव्यांगजन पेट्रोलचलित टू व्हीलर प्रदाय योजना हेतु पात्रता :
- राष्ट्रीय न्यास अधिनियम 1999 में परिभाषित दिव्यांग एवं ऐसे दिव्यांग जो भलीभाँति चल पाने में असमर्थ हैं , वे इस योजना के लाभार्थियों में प्राथमिकता एवं पात्रता की श्रेणी में हैं ।
- ट्राई सायकल अथवा बैटरी चलित मोटराईज्ड ट्राई सायकल जिन निःशक्त जनों के पास हो वे भी इस योजना का लाभ ले सकते हैं किन्तु दोनों योजनाओं में कम से कम दोनों तीन वर्षों का अंतराल होना आवश्यक है ।
- छत्तीसगढ़ का मूल निवासी हो ।
दिव्यांगजन पेट्रोलचलित टू व्हीलर प्रदाय योजना
आवश्यक दस्तावेज़ :
- लाभार्थी की आयु 18 वर्ष से कम व 40 वर्ष से अधिक न हो । (10वीं की मार्कशीट की कॉपी )
- ड्राइविंग लायसेंस की स्वप्रमाणित प्रति प्रस्तुत करनी होगी।
- सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी आय प्रमाण-पत्र जिसमें इस बात की पुष्टि हो कि अभ्यर्थी या उसके माता पिता कि आय 20,000/- से कम है ।
- अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के लिए आवश्यक है UDID(प्रमाणित दिव्यांगता प्रमाणपत्र ) जिससे 60% से अधिक की दिव्यांगता प्रमाणित होती हो ।
- नियमित छात्र-छात्राओं को संबंधित विद्यालय/महाविद्यालय/विश्वविद्यालय प्रमुख से प्रमाणित प्रति अनिवार्य होगी।
- रोजगार या स्वरोजगार में संलग्न अभ्यर्थी के लिए आवश्यक है UDID(प्रमाणित दिव्यांगता प्रमाणपत्र ) जिससे 70% से अधिक की दिव्यांगता प्रमाणित होती हो ।
- रोजगार में कार्यरत दिव्यांगजन को संबंधित कार्यालय प्रमुख से प्रमाणित पे-स्लीप, कार्यस्थल आदि के संबंध में आवेदक का शपथ पत्र।
- रोजगार में कार्यरत दिव्यांगजन के लिए स्वरोजगार ऋण देयक के भुगतान की प्रति तथा संबंधित बैंक/विभाग/संस्था प्रमुख से प्रमाणित प्रति आवश्यक रूप से जमा करनी होगी ।
- यदि आवेदक अध्ययनरत या रोज़गार दोनों श्रेणी में नही आता है तो उसके आवेदन के संबंध में सम्पूर्ण परीक्षण के उपरांत संयुक्त/उप संचालक, जिला कार्यालय समाज कल्याण द्वारा संबंधित जिला कलेक्टर के समक्ष निर्णय हेतु प्रस्तुत किया जावेगा। प्रकरण में जिला कलेक्टर की अनुशंसा अनिवार्य होगी।
*अध्ययनरत छात्र-छात्राओं औए ग्रामीण क्षेत्रों को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी *
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